लेखनी दैनिक प्रतियोगिता कहानी -25-Sep-2022 अमावस्या की रात
अमावस्या की रात
कानपुर नगर की एक कॉलोनी में एक परिवार रहता था। जो कि बहुत भी खुशहाल था। उनके परिवार में सभी हंसमुख स्वभाव के थे,और सुख पूर्वक घर में रहते थे। सभी एक दूसरे की भावनाओं को समझते और उनकी कद्र करते। सभी के पास रोजी रोजगार था।
कोई परेशानी नहीं थी। भगवान का आशीर्वाद उनके परिवार पर सदा रहता था। लेकिन उनकी यह खुशी लोगों को बहुत अखरती थी। और कुछ लोग तो यहां तक कहते थे, कि अरे इन लोगों को देखो। कितना अच्छा नसीब है, कितना खुश रहते है।
भगवान हमारे परिवार को ऐसी खुशी नहीं देते हैं।लोग से उनकी देखी नहीं जाती। और उनकी खुशियों को लोगों की नजर खाने सी लग रही थी। उनकी खुशियों को लोगों ने ऐसी नजर लगाई। कि 1 दिन अचानक उनके घर पर दुखों का कहर टूट पड़ा। उनके घर में उनके घर का कार्य करता उनका बेटा था।
अचानक उसकी तबियत खराब हो गई। घरवालों ने सोचा कि हल्का फुल्का बुखार है, ठीक हो जाएगा। परंतु उसका बुखार 1 हफ्ते तक लगातार उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। अचानक उसको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। डॉक्टरों ने काफी चेकअप किया और कई टेस्ट होने के बाद पता चला कि उसको तो बहुत ही गंभीर बीमारी है।
डॉक्टरों ने चेस्ट के बाद पाया, कि उनके लड़के को ब्लड कैंसर है।अब डॉक्टर भी समझ नहीं पा रहे थे, कि परिवार को कैसे इस बात से अवगत कराया जाए ।क्योंकि कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही हर किसी की जान निकल जाती है। परंतु अभी क्या करते बताना तो था ही।
रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर ने उस लड़के के माता-पिता को कमरे में बुलाया। और उनसे बात की। माता पिता को डॉक्टर के इस तरह बुलाने के साथ ही अंदेशा हो गया था। पता नहीं क्या बात है, जो डॉक्टर इस तरह बात करना चाहते हैं।
उसके माता-पिता डॉक्टर के कमरे में डॉक्टर से मिलने गए। डॉक्टर ने बहुत प्यार से उनको बैठाया । डॉक्टर का ऐसा व्यवहार देखकर लड़के के माता-पिता के मन में शंकाएं बढ़ती जा रही थी। पता नहीं क्या बात है। वह दोनों अंदर जाकर बैठे, और उन्होंने डॉक्टर से पूछा .....कि डॉक्टर साहब बताइए क्या बात है, कोई खतरे की बात तो नहीं है। हमारा दिल बैठा जा रहा है।
कृपया जल्दी बताइए डॉक्टर साहब ने कहा ....धीरज रखिए ....मैं सब बताता हूं , डॉक्टर साहब ने लड़के के माता-पिता को कहा.... आपको बहुत ही धैर्य से काम लेना होगा। आपके बेटे को ब्लड कैंसर है,कैंसर का नाम सुनते ही ......दोनों माता-पिता के होश उड़ गए। अचानक मां धड़ाम से बेहोश होकर गिर पड़ी।
मां के बेहोश होते ही डॉक्टर ने नर्स को बुलाया। और उनको उठा कर बेड पर लिटाया । पानी पिलाया जब वह होश में आई, तो डॉक्टर ने कहा....आप ऐसे घबराएंगी तो कैसे काम चलेगा। बेटे को कैसे संभालेंगी।
बेटे को कैंसर की बात सुनकर दोनों माता-पिता दहाड़ मार मार कर रोने लगे। उनको कुछ समझ में नहीं आ रहा था। कि क्या हो गया, उनके हंसते खेलते परिवार को किसकी नजर लग गई। डॉक्टर साहब ने उनको बहुत समझाया। परंतु हम दोनों समझ गये थे।कि ये सब समझाना तो बेमतलब का ही था।
क्योंकि ब्लड कैंसर की स्थिति इतनी गंभीर होती है। कि इस में मरीज को बचा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है। डॉक्टर साहब की बात सुनकर उन्होंने बेटे के इलाज के लिए कोई कोर कसर ना छोड़ने की बात कही। और कहा.... कि आप जितना अच्छे से इलाज अन्य सकते हैं, उतना कीजिए और हमारे बेटे को बचा लीजिए।
डॉक्टर साहब ने कहा. .... कि हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे और कोशिश करेंगे कि आपके बेटे को कुछ ना हो। लेकिन फिर भी हम कुछ कह नहीं सकते। भगवान ही मालिक है। बेटे का इलाज तुरंत शुरू करा दिया गया।
कमरे से बाहर आकर उन्होंने सभी के पूछने पर यह बात परिवार के सभी लोग को बताई। यह खबर सुनकर सभी के चेहरे उतर गये। और पूरा परिवार गम में गजब गया। परंतु कोई कुछ कर भी नहीं सकता था कोई भगवान को मना रहा था कोई दवाई कर रहा था परंतु उसको बचा पानी में डॉक्टर भी असफल ही थे क्योंकि रोग अंतिम स्टेज पर था डॉक्टर इलाज कर रहे थे 2 महीने बाद दिवाली का त्यौहार आने वाला था उनके बेटे को दिवाली का त्यौहार मनाना बहुत पसंद था वह अपने हाथों से पूरे घर को झालरों से सो जाता था दिए जल आता था मां की पूजा करता था और उसी से दीवार पर मनाता था परंतु इस बार क्या होगा यह किसी को पता नहीं था वह जब पूछता है कि मां मुझे क्या हुआ है तो उसको कुछ बताया नहीं जाता और कहा जाता है कि कुछ नहीं हुआ है तुम ठीक हो बस थोड़ी सी परेशानी है उसी का इलाज हो रहा है लेकिन अधिक दिनों तक हॉस्पिटल में रहने के बाद चुका था उसे कोई गंभीर बीमारी है धीरे-धीरे महीना गुजर गया और वह अस्पताल में ही रहा 15 दिन के बचे थे वह मां से कह रहा था मां मुझे घर ले चलो मुझे दीवाली की तैयारियां करनी है धूमधाम से मनाएंगे परंतु मां कहती ठीक है हम ले चलेंगे आज डॉक्टर से पूछेंगे। कह देंगे तो हम तुम्हें घर ले चलेंगे कहते-कहते 4 दिन दिवाली का बचा था आज उसने जिद की कि मां अब मुझे घर ले चलो मुझे दिवाली का त्यौहार मनाना है मां बाप ने डॉक्टर से बात की डॉक्टर ने कहा कि देखिए आपके बेटे की जिंदगी में बहुत कम दिन बचे हैं आप इसे घर ले जाइए वही ठीक रहेगा और जो खुशी से दे सकते हैं वह खुशी दीजिए अब और हम कुछ नहीं कर सकते हैं डॉक्टर की आवाज सुनकर मां बाप बहुत परेशान हुए परंतु कर कुछ नहीं सकते थे वह डॉक्टर अस्पताल से छुट्टी करा कर अपने बेटे को घर ले आए।
घर आकर पूरे परिवार को पता चल चुका था। परंतु इसकी जानकारी कोई भी उसके सामने नहीं कहता था। मन मारकर सभी लोग दीवाली की तैयारियां करने लगे, और उसको दिखाने के लिए खुश रहते। दिवाली का दिन भी आ गया, दिवाली के दिन उसने अपनी पूरी खुशी जाहिर की।
और इतना वह कर सकता था उतना उसने किया बड़ी धूमधाम से दिवाली मनाई और दिवाली की पूजा होने के बाद अचानक फिर उसकी तबीयत बिगड़ी। तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया, वहां उसकी मृत्यु हो गई।
उस दिवाली के बाद उनके घर में कभी दिवाली नहीं मनाई गई। दिवाली अमावस की रात को ही मनाई जाती है, परंतु दिये जलाकर उस रात को पूर्णिमा में बदल देते थे। लेकिन बेटे की मौत से अब वह अमावस की रात उनके जीवन की अमावस की रात बन चुकी थी।
और वह दीवाली की रात उसके परिवार के लिए अमावस की रात की तरह पूर्ण रूप से काली होकर जीवन की अमावस की रात बन गई थी। तब से लेकर आज तक उनके घर में दीवाली की रात कोई लाइट नहीं जलती है, पूर्ण रूप से अंधकार ही रखा जाता है।
अलका गुप्ता'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
Reena yadav
25-Sep-2022 11:50 PM
👍👍
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Gunjan Kamal
25-Sep-2022 11:43 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
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अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
26-Sep-2022 09:51 AM
शुक्रिया 🙏
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